यौन शिक्षा भारत जैसे देशों में वर्जित है। क्योंकि भारतीय संस्कृति एवं संस्कार में ऐसी शिक्षा देना वर्जित माना जाता है। परंतु यदि बुनियादी सेक्स एजुकेशन को बच्चों एवं समाज को दिया जाये । तो इसके कुछ लाभकारी परिणाम मिल सकते हैं।
सेक्स एजुकेशन के अंगर्गत बहुत सारी जिम्मेदारियां, महिला एवं पुरुष के शरीर की संरचना, उम्र के साथ होने वाले महिला एवं पुरुष के शारीरिक बदलाव, यौन गतिविधियां (यौन क्रिया कालाप), प्रजनन की उम्र, प्रजनन की अधिकार , सुरक्षित यौन क्रीड़ा, जन्म नियंत्रण व यौन संयम से संबंधित सभी प्रकार के विषयों को विस्तार से समझाना सेक्स एजुकेशन के अंतर्गत आता है।
सेक्स से संबंधित शिक्षा को बच्चे, स्कूल, घर, सार्वजानिक यौन स्वास्थ्य कार्यक्रम के द्वारा प्राप्त कर सकते हैंं। भारत में पहले सेक्स एजुकेशन विषय से संबंधित कोई भी जानकारी किशोर व बच्चों को नही दी जाती है। वह यौन शिक्षा के अभाव में रहते थे। क्योंकि समाज ऐसी शिक्षा को गलत मानता था और इसका विरोध भी करता था। यदि थोड़ी बहुत जानकारी दी जाती थी। तो वह घर के सदस्यों या घर की महिलाओं के द्वारा किशोर लड़कियों को दी जाती थी।
सेक्स एजुकेशन में महिलाओं और पुरुषों के यौन स्वास्थ्य के साथ-साथ प्रेगनेंसी से जुड़ी कुछ खास जानकारी भी किशोरों तक पहुंचाते हैं। बच्चों तथा समाज को यौन शिक्षा देने का मुख्य उद्धेश्य यौन संबंध स्थापित होने वाली बीमारियों या संक्रमणों से युवाओं को बचाना है।
क्योंकि यौन संबंध की जानकारी के अभाव में बहुत सारे यौन रोग जैसे- एटीडी, एचआईवी, ग्नोरिया, क्लैमाइडिया, पेल्विक संक्रमण इत्यादि होने का खतरा बना रहता है। ऐसे में यदि युवा वर्ग सेक्स से संबंधित जानकारियों से अवगत है। तो वह इसके अच्छे बुरे परिणामों के बारे में जानकर होने वाली बीमारियों से बच सकता है। इसलिए यौन शिक्षा का हर बच्चे व युवा को स्कूल या फिर घर में जरुर देनी चाहिए।